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इंद्रधनुष के सात रँग सा है जीवन / रंजना वर्मा

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इंद्रधनुष के सात रंग-सा है जीवन।
अँधियारी लम्बी सुरंग-सा है जीवन॥

समय चक्र में फँस कर दुनियाँ घूम रही
चक्रवात के एक अंग-सा है जीवन॥

अंतर्मन की शक्ति अगर पहचानी तो
शिव शंकर के धनुष भंग-सा है जीवन॥

परिवर्तनमय विश्व इसे स्वीकार करो
सुख पीड़ा के साथ संग-सा है जीवन॥

आत्म तत्व को है जिसने भी जान लिया
बड़े अनोखे नये ढंग-सा है जीवन॥

चंचल मन को साध न जो पाया उसका
निरुद्देश्य उड़ते विहंग-सा है जीवन॥

इक पल उठी दूसरे पल मिट जाती है
सरिता में उठती तरंग-सा है जीवन॥

आत्म ईश का रिश्ता जिसने जान लिया
माँ की मनमानी उछंग-सा है जीवन॥

पग पग बिखरे शूल अनेक बाधाएँ
लड़ी जा रही सतत जंग-सा है जीवन॥