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राष्ट्र हित अब स्वप्न कोई देखना होगा नया / रंजना वर्मा

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राष्ट्र हित अब स्वप्न कोई देखना होगा नया।
सत्य पथ हो प्रिय जिसे नर ढूंढ़ना होगा नया॥

सिर्फ़ बातों से न हो सन्तुष्ट भूखा आदमी
पेट भरने के लिये कुछ सोचना होगा नया॥

स्वार्थ की हर भावना को दूर करने के लिये
पंथ पर-उपकार का फिर खोजना होगा नया॥

पद नहीं मिलता कभी है स्वार्थ साधन के लिये
प्राप्ति सँग कर्तव्य-पथ भी जोड़ना होगा नया॥

नाश अरि निज खोल मुख आकर खड़ा है सामने
बढ़ रही इस भूख को अब रोकना होगा नया॥

हैं पुराने पड़ गये साधन समस्त सुधार के
अब सुधारों का तरीका सीखना होगा नया॥

बढ़ रहा आतंक चारो ओर हिंसा नाचती
प्रेम-पथ पर एक पौधा रोपना होगा नया॥