अमन के गीत चिड़िया गा रही है।
चमन को प्यार से सहला रही है॥
मनोहर राह की दृश्यावली यह
पथिक को लक्ष्य से भटका रही है॥
खिलौने स्वप्न के देकर नयन में
निशा संसार को बहला रही है॥
बहुत सूखा है जीवन का बगीचा
तुम्हारी याद ही महका रही है॥
गये शिव छोड़ कर अपना शिवाला
हमें यह आरती बतला रही है॥
गरजते हैं घिरे घनघोर बादल
कहर बिजली चमक कर ढा रही है॥
मिलन की आस है अब भी अधूरी
हमारी उम्र ढलती जा रही है॥