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न कर बेकार की मीठी नयी तक़रार होली में / रंजना वर्मा
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न कर बेकार की मीठी नयी तक़रार होली में।
चला आ साँवरे कर लूँ तुझे मैं प्यार होली में॥
ठहर जा मत लगा घनश्याम पीला रंग गालों पर
भिगो जाये जो तन मन कर वही बौछार होली में॥
न कर अब छेड़ पनघट पर न गागर फोड़ यों मेरी
सजा नवनीत है मन का बना उपहार होली में॥
जलाने दोष दुर्गुण सब अगन जलती है होली की
मिटे नफ़रत वतन हो प्रेम से गुलज़ार होली में॥
तुझे पा कर के स्वप्नों में अजब से भाव हैं उमड़े
सुना धुन प्यार की प्यारे करूँ मनुहार होली में॥
न दुख दें दूसरों को औ न दुख पाएँ किसी से भी
बुझें जो भी जले विद्वेष के अंगार होली में॥
बढ़े सम्मान भारत का कन्हैया कुछ तो कर ऐसा
जगद्गुरु बन के उभरे देश यह इस बार होली में॥