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सभी को दूर दुख से भागते देखा / रंजना वर्मा
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सभी को दूर दुख से भागते देखा।
नयन में स्वप्न सब के जागते देखा॥
खड़ी जब मृत्यु हो इंसान के आगे
हमेशा ज़िन्दगी को हारते देखा॥
करें संघर्ष हर पल फल मिलेगा ही
सफल हो कष्ट सब को भूलते देखा॥
पिया था राधिका ने प्रेम का प्याला
सुनी धुन बाँसुरी की झूमते देखा॥
धरा ऋतुराज का स्वागत लगी करने
विकल पी-पी पपीहा बोलते देखा॥
जमाना अब अनोखा हो गया जैसे
सभी को स्वार्थ के हित जूझते देखा॥
विजय नित सत्य की है लोग हैं कहते
यहाँ सत को असत से हारते देखा॥