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साथ तुम्हारा मिले हृदय उज्ज्वल हो जाये / रंजना वर्मा
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साथ तुम्हारा मिले हृदय उज्ज्वल हो जाये।
छू लो तुम आकाश गगन निर्मल हो जाये॥
रूठ गयी बरसात बहुत रस्ता है भूली
घिरे सघन घन गगन धरा जल थल हो जाये॥
दूर दूर वन के अंचल में रही घूमती
होती है कब अचल हवा चंचल हो जाये॥
अम्बर से जब बरसें अमृत की धाराएँ
भूमि प्रिया का स्नेह भरा अंचल हो जाये॥
श्याम सलोने के प्रति जागे अमल प्रेम जब
जप जप उसका नाम हृदय पागल हो जाये॥
पावनता का ध्यान रहे सबको जल थल में
गंगा जी की धार अमल अविरल हो जाये॥
साथ पिया का मिले समय कुछ ऐसे गुजरे
सदियों का विस्तार सिमट कर पल हो जाये॥