भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सबको रक्षा करनी होगी भारत के सम्मान की / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सब को रक्षा करनी होगी भारत के सम्मान की।
आओ जै जैकार करें सब धरती और किसान की॥
विश्व सदा ही करता रहता सम्मानित विद्वानों को
तुलना नहीं कहीं है कोई इस के अनुपम ज्ञान की॥
सीमा पर दिन रात डटा जो जान हथेली पर ले कर
खैर मनाया करते हैं सब ऐसे वीर जवान की॥
है यह ही अभिमान देश का यह प्रतीक सम्मान का
रक्षा करनी होगी इस फहराते हुए निशान की॥
हास रुदन मय जग है सारा सुख दुख आते जाते हैं
कौन चुका सकता है कीमत एक मधुर मुस्कान की॥
आँखों में अम्बर के सपने पाँव धरा पर टिके हुए
तोल रहे हैं शक्ति परों में कितनी भरी उड़ान की॥
जिसने देकर अन्न जिलाया नीर समीर पिलाये जो
उस धरती माता की ख़ातिर दें कुर्बानी जान की॥