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हो तुम्ही गीत औ ग़ज़ल मेरी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
हो तुम्ही गीत तुम ग़ज़ल मेरी।
हो तुम्हीं सच तुम्ही नकल मेरी॥
जिंदगी मेरी एक अफसाना
तुम बने प्यार की पहल मेरी॥
हाथ जब हाथ में तेरे आया
वक्र रेखा हुई सरल मेरी॥
मन कुलाँचे था भर रहा यूँ ही
देह होने लगी चपल मेरी॥
पत्थरों ने है चोट दी इतनी
हो गयी आस हर तरल मेरी॥
तेरे पावन चरण गहे जब से
झोंपड़ी हो गयी महल मेरी॥
जब तुम्हारी पड़ी नजर मुझ पर
तब गयी आत्मा बहल मेरी॥