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आ गया मौसम सुहाना फाग का / मृदुला झा
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गा रही कोयल तराना फाग का।
झूमती जूही चमेली बेफिकर,
कह रही अभिनव फसाना फाग का।
आज महफिल है सजी कुछ इस तरह,
गा रहा दिलकश शहाना फाग का।
ज़िन्दगी खुश हो उठी यह जानकर,
आ गया मौसम लुभाना फाग का।
मुंतजिर थे हम, गुजश्ता साल से,
टीस देता था न आना फाग का।
ढोल, वंशी झाल वो शहनाइयाँ,
पड़ गया किस्सा पुराना फाग का।
मौत की दहलीज़ पर आकर ‘मृदुल’,
छल गया झूठा बहाना फाग का।