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इसे सुनहरी मुहुरत को अब ले पहचान / सतबीर पाई
Kavita Kosh से
इसे सुनहरी महुरत को अब ले पहचान
अरे नादान...
करकै हेराफेरी रै लूटैं दौलत तेरी रै
रहे घाल चौगिरदै घेरी रै
इब रखणा होगा ध्यान...
चोरों का ध्यान रहै चोरी मैं, दौलत भरै तिजोरी मैं
तू करता ना ख्याल माल का रहै सराफ़त कोरी मैं
आ हिम्मत और दिलेरी मैं तू क्यूं होग्या भयवान...
जान के प्यासे है दुश्मन काले धंधे गोरे तन
ऐसा सबक सिखाओ इनको करो सामना साहसी बन
अरै सुणले बहुजन लोग भोग रहे आनन्द बेइमान...
नेता कांशी राम तेरा शुद्ध होज्या सब काम तेरा
सतबीर सिंह बी.एस.पी. के प्रचारी पाई गाम तेरा
सै नीला झण्डा तमाम तेरा एक हाथी खास निसान...