उजालों की परियाँ

| रचनाकार | बशीर बद्र | 
|---|---|
| प्रकाशक | डायमंड पाकेट बुक | 
| वर्ष | |
| भाषा | |
| विषय | |
| विधा | |
| पृष्ठ | |
| ISBN | |
| विविध | 
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- न जी भर के देखा न कुछ बात की / बशीर बद्र
 - सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा / बशीर बद्र
 - मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो / बशीर बद्र
 - लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में / बशीर बद्र
 - आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा / बशीर बद्र
 - जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे / बशीर बद्र
 - हर जनम में उसी की चाहत थे / बशीर बद्र
 - वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है / बशीर बद्र
 - यूँ ही बेसबब न फिरा करो / बशीर बद्र
 - मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला / बशीर बद्र
 - सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं / बशीर बद्र
 - कभी यूँ भी आ / बशीर बद्र
 - रात इक ख़्वाब हमने देखा है / बशीर बद्र
 - सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में / बशीर बद्र
 - दिल छलक उठा आँख भर आई / बशीर बद्र
 - अब किसे चाहें किसे ढूँढा करें / बशीर बद्र
 - किसे ख़बर थी तुझे इस तरह सजाऊँगा/ बशीर बद्र
 - आँसुओं से धुली ख़ुशी की तरह / बशीर बद्र
 - सुनो पानी में ये किसकी सदा है / बशीर बद्र
 - सर से चादर बदन से कबा ले गई / बशीर बद्र
 - शबनम हूँ सुर्ख़ फूल पे बिखरा हुआ हूँ मैं / बशीर बद्र
 - होंठों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते / बशीर बद्र
 - कोई ख़ाली हाथ नहीं है / बशीर बद्र
 - मुस्कुराती हुई धनक है वही / बशीर बद्र
 - अब तेरे मेरे बीच कोई फ़ासला भी हो / बशीर बद्र