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उस बज़्म के आदाब से अन्जान रहेंगे / 'महताब' हैदर नक़वी
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उस बज़्म के आदाब से अन्जान रहेंगे
पर उनकी हर इक बात पर क़ुर्बान रहेंगे
दुनिया के तरीके हमें अच्छे नहीं लगते
नादान अगर हम हैं तो नादान रहेंगे
कुछ और बदल जायेगी इक रोज़ ये दुनिया
कब तक हम इसी बात पे हैरान रहेंगे
बस आने ही वाले हैं वो अगले ज़माने
आबाद गली कूचे भी सुनसान रहेंगे
हमको भी भरम रखना है अब अहल-ए-जुनूँ का
हाथों में हमारे ही गरीबान रहेंगे
इक ऐसा दिन आयेगा कि मर जायेंगे सब लोग
चढ़ते हुए दरिया में न तूफ़ान रहेंगे