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एक अजनबी पक्षी / विनोद कुमार शुक्ल

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एक अजनबी पक्षी
एक पक्षी की प्रजाति की तरह दिखा
जो कड़ी युद्ध के
पहले बम विस्फोट की आवाज से
डरकर यहाँ आ गया हो।

हवा में एक अजनबी गंध थी
साँस लेने के लिए
कुछ कदम जल्दी-जल्दी चले
फ़िर साँस ली।
वायु जिसमें साँस ली जा सकती है
यह वायु की प्रजाति है
जिसमें साँस ली जा सकती है।

एक मनुष्य मनुष्य की प्रजाति की तरह
साइरन की आवाज सुनते हीं
जान बचाने गड्ढे में कूद जाता है।
गड्ढे किनारे टहलती हुई
एक गर्भवती स्त्री
एक मनुष्य जीव को जन्म देने
सम्भलकर गड्ढे में उतर जाती है
पर कोई मनुष्य मर जाता है।

इस मनुष्य होने के अकेलेपन में
मनुष्य की प्रजाति की तरह लोग थे।