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सब कुछ होना बचा रहेगा / विनोद कुमार शुक्ल
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सब कुछ होना बचा रहेगा
रचनाकार | विनोद कुमार शुक्ल |
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प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लि., 1-बी, नेताजी सुभाष मार्ग, नई दिल्ली-110002 |
वर्ष | 1992 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | कविता |
पृष्ठ | 128 |
ISBN | 81-7178-272-8 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे / विनोद कुमार शुक्ल
- मानुष मैं ही हूँ / विनोद कुमार शुक्ल
- धौलागिरि को देखकर / विनोद कुमार शुक्ल
- मैं अदना आदमी / विनोद कुमार शुक्ल
- एक अजनबी पक्षी / विनोद कुमार शुक्ल
- समुद्र में जहाँ डूब रहा था सूर्य / विनोद कुमार शुक्ल
- वह चेतावनी है / विनोद कुमार शुक्ल
- प्रेम की जगह अनिश्चित है / विनोद कुमार शुक्ल
- प्रत्येक आवाज खटका है / विनोद कुमार शुक्ल
- जाते-जाते ही मिलेंगे लोग उधर के / विनोद कुमार शुक्ल
- सबसे गरीब आदमी की / विनोद कुमार शुक्ल
- सूखा कुआँ जो मृत है / विनोद कुमार शुक्ल
- घर संसार में घुसते ही / विनोद कुमार शुक्ल
- दूर से अपना घर देखना चाहिए / विनोद कुमार शुक्ल
- मंगल ग्रह इस पृथ्वी के बहुत पास आ गया है / विनोद कुमार शुक्ल
- कोसाफल के तैयार होते ही / विनोद कुमार शुक्ल
- जंगल के दिन-भर के सन्नाटे में / विनोद कुमार शुक्ल
- जो शाश्वत प्रकृति है उसमें पहाड़ है /विनोद कुमार शुक्ल
- आँख बंद कर लेने से / विनोद कुमार शुक्ल
- एक सूखी नदी / विनोद कुमार शुक्ल
- ऐसे छोटे बच्चे से लेकर / विनोद कुमार शुक्ल
- जो रिक्शे में लदे फँदे / विनोद कुमार शुक्ल
- जमीन पर बैठा पक्षी / विनोद कुमार शुक्ल
- जो कुछ अपरिचित है / विनोद कुमार शुक्ल
- बहुत कुछ कर सकते हैं ज़िंदगी में का काम बहुत था / विनोद कुमार शुक्ल
- यह सड़क / विनोद कुमार शुक्ल
- चलने के लिए / विनोद कुमार शुक्ल
- एक हरे पेड़ को / विनोद कुमार शुक्ल
- दिन का जाता उजाला है शाम / विनोद कुमार शुक्ल
- मन ऊब गया / विनोद कुमार शुक्ल
- मुझे बचाना है / विनोद कुमार शुक्ल
- सबसे ज्यादा ऊँचाई / विनोद कुमार शुक्ल
- पेड़ के नीचे बैठना / विनोद कुमार शुक्ल
- समुद्र की लहर किनारे रेत में / विनोद कुमार शुक्ल
- सबकी तरफ से वह बोलेगा / विनोद कुमार शुक्ल
- चित्रकार को मेरी कविता पसंद नहीं / विनोद कुमार शुक्ल
- दुनिया जगत / विनोद कुमार शुक्ल
- लोगों तक पहुँचने की कोशिश में / विनोद कुमार शुक्ल
- कहीं अच्छी हवा सुरक्षित थी / विनोद कुमार शुक्ल
- व्यक्त नहीं होता घटित पेड़ / विनोद कुमार शुक्ल
- शहर से बाहर / विनोद कुमार शुक्ल
- घरवालों के साथ / विनोद कुमार शुक्ल
- रोज दिखाई देता है वह / विनोद कुमार शुक्ल
- जहाँ पहाड़ है क्षितिज पर / विनोद कुमार शुक्ल
- किसी के बीच रहना / विनोद कुमार शुक्ल
- एक गुलाम देश का सूरज / विनोद कुमार शुक्ल
- कुछ नए लोगों से / विनोद कुमार शुक्ल
- अभी अपनी पचास की उम्र में / विनोद कुमार शुक्ल
- पहाड़ी के ऊपर से / विनोद कुमार शुक्ल
- उसने चलना सीख लिया था / विनोद कुमार शुक्ल
- देखा नहीं, सुना बहुत है / विनोद कुमार शुक्ल
- दृश्य है जमाने से / विनोद कुमार शुक्ल
- पंजाब के किसी भी गाँव में / विनोद कुमार शुक्ल
- हिरन तेज दौड़ता है / विनोद कुमार शुक्ल
- एक सुंदर लड़की को देखना / विनोद कुमार शुक्ल