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सूखा कुआँ जो मृत है / विनोद कुमार शुक्ल
Kavita Kosh से
सूखा कुआँ तो मृत है
बहुत मरा हुआ
कि आत्महत्या करता है
अपनी टूटी मुंडेर से
अपनी गहराई भरता हुआ
कुऍं के खोदने से निकले हुए
पत्थरों से
जो मुंडेर बनी थी
कुएँ के तल की कुँआसी इच्छा
उसकी अंदरूनी गहरी
बारूद से तड़कने की
परन्तु अपने ही निकले हुए पत्थरों और मिट्टी से
भरता हुआ कुआँ
कुआँ न होने की तरफ लौट रहा है,
अब यह पलायन था कुऍं का
गॉंव पहले उजाड़ हो चुका था