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एक यात्रा के दौरान / पाँच / कुंवर नारायण
Kavita Kosh से
कभी कभी दूसरों का साथ होना मात्र
हमें कृतज्ञ करता
दूसरों के साथ होने मात्र के प्रति,
किसी का सीट बराबर जगह दे देना भी
हमें विश्वास दिलाता कि दुनिया बहुत बड़ी है,
जब अटैची पर एक हल्की-सी पकड़ भी
ज़िंदगी पर पकड़ मालूम होती है,
और दूसरों के लिए चिन्ता
अपने लिए चिन्ताओं से मुक्ति.....