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एक हुजूम से दूसरे हुजूम में / वाज़दा ख़ान
Kavita Kosh से
अवसरवादिता का
अवसर तलाशते
एक हुजूम से दूसरे हुजूम
में शामिल होते लोग
दूसरे की संवेदनाओं / एहसासात
को चर्चा का विषय बना
उनकी विवशताओं पर
अट्टहास करते लोग ।