ऐ जी ऐ जी थारी कैसे हुई तबाही / सतबीर पाई
ऐजी ऐजी थारी कैसे हुई तबाही...
शिक्षा दे दी उस ब्राह्मण को, इस वर्ण का हिसाब देखे
जिम्मेवारी सौंपी सारी, हाथ मैं किताब देखे
मनमर्जी का काम थारा बणकै रहो नवाब देखे
दीक्षा देणी काम तुम्हारा ज्ञान और ध्यान तै
ब्रह्मा विष्णु शिवजी देखो हम मिलते भगवान तै
सृष्टि पै जो भी होगा म्हारे ही वरदान तै
भिक्षा लेण के माध्यम घूमो मारो खूब भकाई...
क्षत्री को देखो लोगों हाथ मैं हथियार दिया
ऊपर ना लखावै कोई पक्का अधिकार दिया
दहशत फलाओ सबका बणा पहरेदार दिया
पांच फुटी तलवार देकै शूरवीर का दे दिया नाम
रण मैं बण मैं तेरी हुकूमत बहादुरी का करणा काम
जो कोई ललकारण आवै, उसका कर दियो काम तमाम
तेरे भय तै कापैंगे सारे, कदे करदे मार सफाई...
वैश्य को दी पूंजी सारी छोटे मोटे ला उद्योग
किसे चीज की दिक्कत कोन्या जितना मर्जी आनंद भोग
ना मजबूरी पूंजी पूरी लूट्टण खातर शूद्र लोग
पूंजी तेरे हाथ मैं होगी पूरा भरो खजाने को
कितना पैसा तेरे पास, ना मालूम पड़ै जमाने को
काबू कर लो माल, शूद्र तरसै दो दो आने को
मुंजी बणकै रहिये करिये बणकै सेठ कमाई...
फर्ज बताया तेरा इनकी सेवा करो जरूर
ना उठा सकै हथियार हाथ में शिक्षा तै भी रहणा दूर
दूर ठिकाणा कर्या शहर तै अच्छा पहरण तै मजबूर
कर्ज दे दिया सिर के ऊपर भारी बोझा धर दिया भाई
शूद्र की दो फाड़ बणा कै न्यारा न्यारा कर दिया भाई
पाई वाले सतबीर सिंह नै सारा पेटा भर दिया भाई
सबतै करकै अलग तेरी तो नगरी दूर बसाई...