कभी फिर मिलोगे तो कैसा लगेगा !
नहीं फिर मिलोगे तो कैसा लगेगा !
तुम्हें देखकर हम जिगर थाम लेंगे
इरादा तो है सब्र से काम लेंगे
ये कैसे कहें हम नज़र फेर लेंगे
न कोई सुने इस तरह नाम लेंगे
ज़माना हँसा था ज़माना हँसेगा ।
कभी फिर मिलोगे तो कैसा लगेगा ।
नहीं फिर मिलोगे तो कैसा लगेगा ।।
ज़बां चुप रहेगी मगर बात होगी
कभी शह लगेगी कभी मात होगी
न सूरज ढलेगा मगर रात होगी
ये क़ुदरत की भारी करामात होगी
ज़माना हँसा था ज़माना हँसेगा ।
कभी फिर मिलोगे तो कैसा लगेगा !
नहीं फिर मिलोगे तो कैसा लगेगा !
कभी फिर मिलोगे तो कैसा लगेगा ।
नहीं फिर मिलोगे तो कैसा लगेगा ।।