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कान्ति धवल कर्पूर-कुंद-सम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग आनन्द-ताल त्रिताल)
कान्ति धवल कर्पूरकुन्द-सम पूर्ण-चन्द्र-उज्ज्वल आनन।
वीणा पुस्तक-माला-धारिणि, परम सुशोभित दिव्य वसन॥
षोडशदल-कमलासन सुन्दर हंसवाहिनी कल्याणी।
तम-नाशिनि सद्बुद्धि-प्रदायिनि जय-जय जयति देवि वाणी॥