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कोयलिया काहे राति करे शोर / भवप्रीतानन्द ओझा

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झूमर (भादुरिया)

कोयलिया काहे राति करे शोर
कोयलिया...
यहाँ जे बिधुराबाला बहावये लोर
कोयलिया विरह अगिनि चहुँ ओर
मथुरा में बोलें जहाँ कालिया किशोर
कोयलिया! कुबजे से कये किलोर
केली कुंजे वासा बांधी करिहैं अनोर
कोयलिया! जहाँ वंशी टेरे मन चोर
लेले जाहीं मोरा भौंरा मलया झीकोर
कोयलिया। भवप्रीता युगल भावे मोर।