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कोलम्बस का जहाज / कुंवर नारायण
Kavita Kosh से
बार-बार लौटता है
कोलम्बस का जहाज
खोज कर एक नई दुनिया,
नई-नई माल-मंडियाँ,
हवा में झूमते मस्तूल
लहराती झंडियाँ।
बाज़ारों में दूर ही से
कुछ चमकता तो है −
हो सकता है सोना
हो सकती है पालिश
हो सकता है हीरा
हो सकता है काँच...
ज़रूरी है पक्की जाँच।
ज़रूरी है सावधानी
पृथ्वी पर लौटा है अभी-अभी
अंतरिक्ष यान
खोज कर एक ऐसी दुनिया
जिसमें न जीवन है − न हवा − न पानी −