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क्या पता था खेल ऐसे खेलने होंगे / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
क्या पता था खेल ऐसे खेलने होंगे
रक्त-आँसू गूँथ पापड़ बेलने होंगे
कुर्सियों पर लद गया है बोझ नारों का
यार, ये विकलांग नायक ठेलने होंगे
भर गया बारूद मेरी खाल में इतना
अब धमाके पर धमाके झेलने होंगे.