क्या पता था खेल ऐसे खेलने होंगे
रक्त-आँसू गूँथ पापड़ बेलने होंगे
कुर्सियों पर लद गया है बोझ नारों का
यार, ये विकलांग नायक ठेलने होंगे
भर गया बारूद मेरी खाल में इतना
अब धमाके पर धमाके झेलने होंगे.
क्या पता था खेल ऐसे खेलने होंगे
रक्त-आँसू गूँथ पापड़ बेलने होंगे
कुर्सियों पर लद गया है बोझ नारों का
यार, ये विकलांग नायक ठेलने होंगे
भर गया बारूद मेरी खाल में इतना
अब धमाके पर धमाके झेलने होंगे.