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ख़बर / विमलेश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
एक सुस्त-सी रात में
सन्नाटा घर की बूढ़ी चारदीवारी के भीतर
ज़ोर-ज़ोर से खाँस रहा था
बाहर दुनिया में दानों की नमी
पाले की मार से काली हो रही थी
दूसरे दिन सुबह
नहीं हुई सुबह की तरह
सूरज की तरह नहीं उगा सूरज
यह ख़बर घर की चारदीवारी से खेत
और खेत से पूरे इलाके में फैल गई
सभी लोग अचम्भे में थे
कि इतनी बड़ी ख़बर की तस्वीर
गाँव के इकलौते टी०वी० पर
किसी को भी नज़र नहीं आई