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खुद पर थोड़ा रहम करो / मृदुला झा

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कुछ तो अच्छा करम करो।

जख़्म हरा है छेड़ो मत,
बेशर्मी पर शरम करो।

कातिल है तेरी नजरें,
तेवर थोड़ा नरम करो।

बीती रातें तनहा ही,
तनहाई अब खतम करो।

सबसे मिलकर रहना तुम,
कुछ तो मानव धरम करो।

देख रहा है सब कुछ रब,
दुर्गुण अपना भसम करो।