भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घड़ियाँ / निकानोर पार्रा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: निकानोर पार्रा  » घड़ियाँ

सान्तियागो, चिली में
दिन बेहद लम्बे होते हैं :
एक दिन में अनेक सदियाँ
खच्चरों पर सवार
सागर-सिवार के फेरी वालों की तरह
तुम उबासी लेते हो -
फिर-फिर उबासी लेते हो

लेकिन हफ़्ते बहुत छोटे होते हैं
महीने सरपट गुज़रते हैं
और वर्षों ने तो जैसे पंख उगा लिए हैं

अंग्रेज़ी से अनुवाद : नीलाभ