छहरैं मुख पै घनश्याम से केश इतै सिर मोर पखा फहरैं।
इत गोल कपोलन पै अति लोल अमोल लली मुक्ता थहरैं॥
इहि भाँति सो बद्रीनरायन जू दोऊ देखि रहे जमुना लहरैं।
निति ऐसे सनेह सों राधिका श्याम हमारे हिये मैं सदा विहरैं॥
छहरैं मुख पै घनश्याम से केश इतै सिर मोर पखा फहरैं।
इत गोल कपोलन पै अति लोल अमोल लली मुक्ता थहरैं॥
इहि भाँति सो बद्रीनरायन जू दोऊ देखि रहे जमुना लहरैं।
निति ऐसे सनेह सों राधिका श्याम हमारे हिये मैं सदा विहरैं॥