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ज़िन्दगी कब बसन्ती होगी / केशव शरण
Kavita Kosh से
आज मरूँ तो
चालीस साल
चार साल बाद मरूँ तो
चौवालीस साल
और दस बरस और जी लूँ तो
स्वर्ण जयन्ती होगी
और अगर पचास साल और जी लूँ तो
एक और स्वर्ण जयन्ती होगी
मगर ज़िन्दगी तो
आज भी मटमैली
ऊसर-धूसर
यह कब बसन्ती होगी?