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जान हम तुझ पे दिया करते हैं / इमाम बख़्श 'नासिख'
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जान हम तुझ पे दिया करते हैं
नाम तेरा ही लिया करते हैं
चाक करने क लिए ऐ नासेह
हम गरेबान सिया करते हैं
साग़र-ए-चश्म से हम बादा-परस्त
मय-ए-दीदार पिया करते हैं
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
संग-ए-असवद भी है भारी पत्थर
लोग जो चूम लिया करते हैं
कल न देगा कोई मिट्टी भी उन्हें
आज ज़र जो कि दिया करते हैं
ख़त से ये माह हैं महबूब-ए-क़ुलूब
सब्ज़े को मोहर गिया करते हैं
दफ़्न महबूब जहाँ हैं ‘नासिख़’
क़ब्रें हम चूम लिया करते हैं