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इमाम बख़्श 'नासिख'
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इमाम बख़्श 'नासिख'
जन्म | 1776 |
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निधन | 1838 |
उपनाम | 'नासिख' |
जन्म स्थान | लखनऊ |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
इमाम बख़्श 'नासिख' / परिचय |
ग़ज़लें
- आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे / इमाम बख़्श 'नासिख'
- आशिक की सआदत है जो सर उसका झुका है / इमाम बख़्श 'नासिख'
- ऐ रोसियह रक़ीब तो डर मेरी आह से / इमाम बख़्श 'नासिख'
- चैन दुनिया में ज़मीं से ता फ़लक दम भर नहीं / इमाम बख़्श 'नासिख'
- चल सोवे चमन साक़ी सरमाया गुलाबी / इमाम बख़्श 'नासिख'
- देख ले जोड़ा बसंती जब वो जिस्म-ए-यार में / इमाम बख़्श 'नासिख'
- दिल से लूंगा मैं काम रहबर का / इमाम बख़्श 'नासिख'
- फुर्क़त हुई जो सुबह का इक रश्क-ए-माह से / इमाम बख़्श 'नासिख'
- है दिल-ए-सोज़ाँ में तूर उस की तजल्ली-गाह का / इमाम बख़्श 'नासिख'
- है मोहब्बत सब को उस के अबरू-ए-ख़मदार की / इमाम बख़्श 'नासिख'
- हैं अश्क मिरी आँखों में क़ुलज़ूम से ज़ियादा / इमाम बख़्श 'नासिख'
- हमारा नफ़्स इक बादबां है / इमाम बख़्श 'नासिख'
- इस अबर में यार से जुदा हूं / इमाम बख़्श 'नासिख'
- जान हम तुझ पे दिया करते हैं / इमाम बख़्श 'नासिख'
- जब वो मस्जिद में अदा करते हैं / इमाम बख़्श 'नासिख'
- कौन सा तन है कि मिस्ल-ए-रूह इस में तू नहीं / इमाम बख़्श 'नासिख'
- ख़्याल-ए-यार में दिल शादमां है / इमाम बख़्श 'नासिख'
- पोंछता अश्क अगर गोश-ए-दामां होता / इमाम बख़्श 'नासिख'
- क़ामत-ए-यार को हम याद किया करते हैं / इमाम बख़्श 'नासिख'
- ज़ोर है गर्मी-ए-बाज़ार तेर क़ूचे में / इमाम बख़्श 'नासिख'
- रूए जानां का तसव्वुर में जो नज़ारा हुआ / इमाम बख़्श 'नासिख'
- सब हमारे लिए ज़ंजीर लिए फिरते हैं / इमाम बख़्श 'नासिख'
- सनम कूचा तिरा है ओर मैं हूँ / इमाम बख़्श 'नासिख'
- होनी है शहीद एक न इक रोज़ तमन्ना / इमाम बख़्श 'नासिख'