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जीत कें चुनाव काँग्रेसी गंरवाय गये / नाथ कवि
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जीत कें चुनाव काँग्रेसी गंरवाय गये।
कुनवा परस्ती कर धन को कमाते हैं॥
शान्ति औं अहिंसा का दंभ करते जो ‘नाथ’।
वो ही साम्यवाद कल्प वृक्ष को लगाते हैं॥
काश्मीर अजहू समस्या हल भई नांहि।
राष्ट्र संघ मांहि टांग जाकर अड़ाते हैं॥
मध्य वर्ग पिसौ जाय आज या भारत में।
मोहन की याद कर कर के पछताते हैं॥