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जो अपने डर की सीमा जानते हैं / जहीर कुरैशी
Kavita Kosh से
जो अपने डर की सीमा जानते हैं
वो अपने ‘स्वर’ की सीमा जानते हैं
तुम्हारे पास अवसर है, ये सच है
हम हर अवसर की सीमा जानते हैं
हथौड़े—छैनियों से लैस शिल्पी
अघढ़ पत्थर की सीमा जानते हैं
जिन्हें मालूम है जादू जगाना,
वो हर मन्तर की सीमा जानते हैं
नई पीढ़ी के धीरज के मुताबिक
पिता आदर की सीमा जानते हैं
वो लाँघेंगे नहीं देहरी पराई
जो अपने घर की सीमा जानते हैं
हमें प्रश्नों की हद में सोचना है
हम हर उत्तर की सीमा जानते हैं