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जो हादिसा गुज़रा है वो अफ़साना लगे है / कांतिमोहन 'सोज़'
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बाबरी मस्जिद गिराए जाने के पसमंज़र में
जो हादिसा गुज़रा है वो अफ़साना लगे है ।
जो होश में है बस वही दीवाना लगे है ।।
पुरखों ने सिखाई ही नहीं तर्ज़े-अदावत
करते हैं मगर प्यार तो जुर्माना लगे है ।
सब जाम लिए बैठे हैं प्यासों के अलावा
दुनिया किसी शैतान का मयख़ाना लगे है ।
किस राम की भगती पे उतर आए मेरे लोग
इस बार तो बदला हुआ पैमाना लगे है ।
कोई मुझे बतलाए कहाँ जाए तेरा सोज़
हूँ अपने वतन में मुझे ऐसा न लगे है ।।
16-11-92