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पुरानी बयाज़ से / कांतिमोहन 'सोज़'
Kavita Kosh से
पुरानी बयाज़ से
रचनाकार | कांतिमोहन 'सोज़' |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़लें और गीत |
विधा | |
पृष्ठ | 100 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अपना वुजूद बाइसे-तूफ़ां हुआ तो है / कांतिमोहन 'सोज़'
- अबके यूं मौसमे-खिज़ां गुज़रा / कांतिमोहन 'सोज़'
- इधर हैं रीते पियाले इधर भी एक नज़र / कांतिमोहन 'सोज़'
- इमसाल परिन्दों से तक़्सीर नहीं होगी / कांतिमोहन 'सोज़'
- एक दिन मेरी मान लो यूँही / कांतिमोहन 'सोज़'
- ऐ मेरी रूहे-ग़ज़ल साथ निभाना होगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या देखना है और यहाँ कुछ तो बोल तू / कांतिमोहन 'सोज़'
- कभी कबाड़िया बनकर कभी नबी बनकर / कांतिमोहन 'सोज़'
- कभी मुझ पर कभी हालात पे हँस देते हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- करें किस बात का शिकवा भला उससे गिला कैसा / कांतिमोहन 'सोज़'
- कोई जज़ा कोई मनसब कोई सिला भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- चलके लुट जाएँ ग़मे-सूदो-ज़ियां के पहले / कांतिमोहन 'सोज़'
- ज़िक्रे-एहवाले-दिले-ज़ार करूँ तो कैसे / कांतिमोहन 'सोज़'
- ज़िन्दगी ने हमें गुदगुदाया भी था / कांतिमोहन 'सोज़'
- जो हादिसा गुज़रा है वो अफ़साना लगे है / कांतिमोहन 'सोज़'
- तुझसे मायूस तो हो जाऊँ कहाँ जाऊँ मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- तुम किसी तौर मेरे हो जाते / कांतिमोहन 'सोज़'
- दीवाना कहके कोई मुझे छेड़ता नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- नमकपाशी पे आमादा अगर हमदम नहीं होते / कांतिमोहन 'सोज़'
- बक़ा ऐसी मिली थी तीरगी में / कांतिमोहन 'सोज़'
- बात तो थी मगर न थे अल्फ़ाज़ / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैं जानता हूं इधर से तेरा गुज़र भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- यकायक उसको क्या सूझा क़लम कर दी ज़बां मेरी / कांतिमोहन 'सोज़'
- यां तलक जान पे बन आई बहुत रात गए / कांतिमोहन 'सोज़'
- या तो हर एक बशर के लिए मय हराम हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये ख़ता बार-बार करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी अपना क़ुसूर है यारो / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी किसकी समझ में आया है / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये सितम दिल पे यार करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये सितम दिल पे यार करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- लो फिर से जुनूं दिल को सदा देने लगा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- वफ़ा का किसको मिला क्या सिला हुआ सो हुआ / कांतिमोहन 'सोज़'
- सर उठाने की कोई बात तो हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- हमारे भाग में सहबा बदा नहीं न सही / कांतिमोहन 'सोज़'
- है चीख़ ममोलों की या रब हंगामा है या शहबाज़ों का / कांतिमोहन 'सोज़'
- है फ़िक्र अब कि तेरी आरज़ू करें न करें / कांतिमोहन 'सोज़'