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हमारे भाग में सहबा बदा नहीं न सही / कांतिमोहन 'सोज़'

अशआर

हमारे भाग में सहबा<ref>शराब</ref> बदा नहीं न सही
तेरे कमाल से कूज़े में कायनात<ref>कुलिया में ब्रह्माण्ड</ref> तो हो ।

दिलों के हौसले इससे बुलन्द होते हैं
अँधेरा घर है मगर रौशनी की बात तो हो ।

अमलकदा<ref>कर्मभूमि</ref> है ये चुप्पी भली नहीं लगती
बराए-नाम सही कोई वारदात तो हो ।

तेरे हुज़ूर में कहने को कुछ तो है लेकिन
तेरे निज़ाम में क़तरे की कुछ बिसात तो हो ।

तुम्हारा सोज़ अब इस खेल से भी ऊब चला
है मुंतज़िर कि कोई शह लगे कि मात तो हो ।


शब्दार्थ
<references/>