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तुझसे मायूस तो हो जाऊँ कहाँ जाऊँ मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
Kavita Kosh से
तुझसे मायूस तो हो जाऊँ कहाँ जाऊँ मैं ।
ज़िन्दगी आ मुझे बहला तुझे बहलाऊँ मैं ।।
आ कभी सीख कभी मुझको सिखा तर्ज़े-वफ़ा
कभी थामूँ कभी उँगली तुझे पकडाऊँ मैं ।
कभी ठुकराउँ खिलौने का तक़ाज़ा तेरा
और कभी तेरे लिए चाँद उठा लाऊँ मैं ।
छेडख़ानी से कभी बाज़ न आए कोई
तुझसे हँसना कभी सीखूँ कभी सिखलाऊँ मैं ।
तू है एक जोत मुझे राह दिखानेवाली
तू कोई ज़ख़्म नहीं क्यूँ तुझे सहलाऊँ मैं ।
आ मेरे पास चली आ कोई परहेज़ न कर
तुझसे मिलकर कभी तड़पूँ कभी तड़पाऊँ मैं ।
तेरे चेहरे से तबस्सुम की शुआएँ लेकर
सोज़ एक फूल की ख़ुशबू सा बिखर जाऊं मैं ।।