ढफ ढोल बजाकै मुनियादी होनी चाहिए
पूर्णिमा प्रकाश की शादी होनी चाहिए...टेक
यो भारत गारत कर डाला इन ऊँच-नीच के धन्घे नै
बाकायदा हक मिलना चाहिए, पशु और परिन्दे नै
हो ईब हर बन्दे नै आजादी होणी चाहिए...
ईश्वर भी बुरा मान जा सै, जुल्म के करे तै
छुआछूत भेद ना चाहिए आदमी खरे तै
हो ईब नए सिरे तै आबादी होणी चाहिए...
दिल्ली की असैम्बली के संग, लडूं स्वतन्त्र केस मैं
जात-पात की रगड़ा-झगड़ा मेट द्यूं क्लेश मैं
हो जात-आजाद देश मैं नरमादी होनी चाहिए...
समझो एक समान ‘दयाचंद’ हार और जीत भी
छोरां आली रागनी और छोरियां के गीत भी
हो तेरी बातचीत भी सत्यवादी होणी चाहिए...