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तमाम मरहले उस नाम से हैं सर होना / 'महताब' हैदर नक़वी

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तमाम मरहले उस नाम से हैं सर होना
कि उसके नाम पे लिक्खा है मोतबर होन

वो जिसकी ख़ाक मिरी पुतलियों में चुभती है
उसी ज़मीन पे लिक्खा हुआ है घर होना

किसी की आँख में उतरे हैं ख़्वाब के मंज़र
कहो हवा से कि उसको है तेज़तर होना

तुम्हारे वास्ते लिकखा गया है दुनिया में
तुम्हें किसी का उसे तेरा मुंतज़िर होना

मेरी ज़मीन मेरे साथ-साथ चलती है
वगरना मेरे लिए था तो दर-ब-दर होना