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ताज़िया / शरद कोकास
Kavita Kosh से
दहकते अलाव से
बड़ों की देखा-देखी
गुज़रते बच्चे
नंगे पांव दौड़ते
ताज़िये के पीछे
बड़ों की तरह छाती पीटना
नकल उतारना
ढोल-ताशों की गूंज
भीड़-भाड़ शोर-शराबा
भाता उन्हें
अलाव से गुज़रते हुए
नन्हें के पांव में
चिपकता अंगारा
छटपटाता पटकता पांव
पूछता छाती पीटने का मतलब
अलाव से गुज़रते हुए वह।
-1993