तितलियों का सिंगार कौन करे
अब खिज़ा को बहार कौन करे
रोज़ बुनती है चाँद पर बैठी
चाँदनी तार तार कौन करे
रोज़ वादे से मुकर जाता है
बेवफ़ा से क़रार कौन करे
छुप के बैठा जो झील में जाकर
वो सितारा शुमार कौन करे
जो तसव्वुर में बस रहा मेरे
उस से अब जीत हार कौन करे
तू नहीं जिन्दगी में शामिल तो
अब मुझे बेक़रार कौन करे
रुख़्सती का है महूरत आया
अब भला इंतज़ार कौन करे