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तुझसे मिल बैठें तेरा सौदा करें / 'महताब' हैदर नक़वी

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तुझसे मिल बैठें तेरा सौदा करें
ऐ शब-ए-हिज्राँ! तेरा हम क्या करें

ये बगूला राह से हट जाये फिर
तश्ना इन होठों को इक दरिया करें

जी में आता है कभी पिछले पहर
ऐसा कुछ हो जाय बस रोया करें

दोस्त तो सारे यहीं पर जम्मा हैं
किसकी गीबत और किसे रुसवा करें

है हुजूम-ए-आरज़ूमन्दी बहुत
अब इसे कुछ देर को तनहा करें