Last modified on 2 सितम्बर 2014, at 20:57

तू बिकता रोज़ बाज़ार मैं तेरी होती रोज़ दलाली / सतबीर पाई

तू बिकता रोज बाजार मैं तेरी होती रोज दलाली...टेक
तेरी करते ठेकेदारी इसी करकै नै होशियारी
तेरी मति खामखां मारी वो जुल्म करै बड़े भारी
तेरी लूटैं दौलत सारी रै तू सहम बणा दिया खाली...

लूटैं तनै दलाल परखणी होगी इनकी चाल
सारा यां गुटकै माल तू कर दिया कंगाल
इनको द्यो निकाल बीच तै आवै फेर खुशहाली...

यां लोग बड़े बेइमान राखणाा ईब जरूरी ध्यान
जुल्मी और शैतान पकड़ तेरा गिरेवान
यू चूल्हा टैक्स लगान तेरी न्यू जान मरण मैं आली...

हो नीला तेरा लिबास करो ठेकेदारी का नाश
कर लो जतन तलाश यां करते आनंद रास
पाई वाले सतबीर खास तेरे गीत और भजन कव्वाली...