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तेरी आँखें नीली क्यों हैं / कंसतन्तीन बलिमोन्त / अनिल जनविजय

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— तेरी आँखें नीली क्यों हैं, इतनी नीली-नीली ?
— हुआ यह कि जब आंधी गुजर गई, चक्रीली
वहाँ चमक रही थी तब बिजली लाल और नीली
औ’ देखा मैंने नाच रही चपल, चंचला अग्नि पीली

तब नभ में तड़क रही थी तड़ित - दामिनी नीली
रेगिस्तान खेल रहा था मुझसे भी आँख-मिचौली
खिली हुई थीं कानन में जड़ी-बूटियाँ नीली-पीली
बजते-बजते, चमक रही थी जैसे घण्टी कोई नीली

ख़ैर सीढ़ियाँ चढ़कर जब तक मैं पहुँची अपने घर
तैर रही थी रज़नी नीलम सी पहले से ही उन पर,
छाई हुई थी बहार वहाँ पर नीली महारानी बनकर
और सुगंधित फूल बकाइन के नीले रंग के कमकर।

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
                 Константина Бальмонта
              Отчего у тебя голубые глаза

— Отчего у тебя голубые глаза?
— Оттого что когда пролетала гроза,
Были молнии рдяны и сини.
Я смотрела на пляску тех синих огней
И на небо, что все становилось синей,
А потом я пошла по пустыне.
Предо мной голубел и синел зверобой,
Колокольчик сиял и звенел голубой,
И взошла я в свой дом на ступени,
А над ними уж ночь голубая плыла,
И весна королевой лазури была,
И душисто синели сирени.