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तोरी-तोरी नोह से तमाँकू तरहत पर / विजेता मुद्गलपुरी
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तोरी-तोरी नोह से तमाँकू तरहत पर
ताली दे रगैर तिसमार जे बनै छै
बर-बर, बर बोलै बात बिन वजह के
बे बहियात के बिवाद के जनै छै
पढ़ना पहाड़, पर द्वार पर परलो
पिच-पिच करि, पर दोष के गनै छै
भनत विजेता ई तमाँकू आरो चून लेली
हाथ के पसारी स्वभिमान के हनै छै