उसकी रोटी का थोड़ा सहारा हो जाए
खुशहाल सर्वहारा हो जाए
नदी के साथ जैसे किनारा हो जाए
तो मैं लिखूँ कविता
मेरा भारत हमारा हो जाए
समृद्ध, सब जग से न्यारा हो जाए
हम सबका प्यारा दुलारा हो जाए
तो मैं लिखूँ कविता
सत्ता जनता के लिए
और जनता में भाईचारा हो जाए
मनुष्य के दुखों का निस्तारा हो जाए
जीवन में अभय का इशारा हो जाए
तो मैं लिखूँ कविता