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दर्द में डूबा हुआ कोई ख़जाना तो हो / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
दर्द में डूबा हुआ कोई ख़जाना तो हो
गीत गाने के लिए कोई बहाना तो हो।
चंद लम्हों की मुलाकात के बहाने ही
ज़िंदगी में चलो इक गुज़रा ज़माना तो हो।
देवता बन के निकल जाऊँ न मैं दुनिया से
चलो बदनाम सही मेरा फसाना तो हो।
कुछ माटी में, कुछ हवा में बिखर जायेगा
आपके वास्ते पर मेरा तराना तो हो।
जुल्म मैंने सहा महफू़ज रहो तुम जिससे
मैं रहूँ या न रहूँ तुमको ठिकाना तो हो।