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दर्द होता है बहुत, इश्क़ न सहना भाई / अनीस अंसारी
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दर्द होता है बहुत, इश्क़ न सहना भाई
जीते जी अब न किसी और पे मरना भाई
एक यह दिल है खिंचा जाता है मक़तल की तरफ़
उस पे समझाते हो उस राह न चलना भाई
चांद को देख के बरपा है समन्दर में जुनून
रात कहती है ज रा होश में रहना भाई
मुड़ के देखोगे तो पत्थर में बदल जाओगे
गुज़री राहों की तरफ़ अब न पलटना भाई
कोई खुश्बू हो तो सीने में छुपाये रखना
चाँद के नीचे खुली छत पे न रहना भाई
कैसी दुरगत हुई 'अंसारी जी' बस्ती जाकर
इस से बेहतर था वह सहरा में भटकना भाई