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दर्पण में हिय के वह मूरति आय बसी / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

दर्पण में हिय के वह मूरति आय बसी न चली तदबीरैं ।
सो हवै दु टूक सनेही गयो पै परी विरहागिनि ताप की भीरैं ।।
दौन में प्रतिबिम्बित है छवि दूनी लगे उपजावन पीरैं ।
सालति एकै रही जिय में अब एक तै ह्वै गई द्वै तस्वीरें ।।