दिल के बहलाने को सामाँ चाहिए
मेरी वहशत को बयाबाँ चाहिए
हिजरतें होनी थीं जितनी हो चुकीं
पाव में ज़न्जीर-ए-जानाँ चाहिए
ख़्वाब तो देखें आँखों हैं ने बहुत
पर कोई इनका निगहबाँ चाहिए
अपने वीराने में दम घुटने लगा
कोई सूरत कोई इमकाँ चाहिए
कारोबार-ए-इश्क़ है मुश्किल बहुत
मुझ को कोई आसाँ चाहिए