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दुकाँ छोटी हो लेकिन दोस्तो बैनर बड़ा रखना / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
दुकाँ छोटी हो लेकिन दोस्तो बैनर बड़़ा रखना
भले कुछ भी नहीं करना मगर बातें बड़ी करना।
तुम्हारा नाम अपने आप आ जायेगा चर्चा में
बड़ा हो नाम जिसका उसकी बस आलोचना करना।
किसे मालूम है वो भेड़िया किस रूप में आये
जो साधू के लिवासों में हैं उन पर भी नज़र रखना।
इधर मासूमियत तेरी उधर उसकी अदाकारी
बहुत हँस-हँस के वो मिलता है उससे दूर ही रहना।
सुना है तुम परिन्दों से भी ऊँचे तक उड़ आते हो
गिरो तो दम निकल जाये मगर इतना नहीं उड़ना।